(Pi Bureau)
चांद पर पहुंचने से बस कुछ दूर पहले ही चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. भूटान के प्रधानमंत्री लोताय शेरिंग ने भी भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ की है. उन्होंने लिखा, हमें भारत और भारत के वैज्ञानिकों पर गर्व है. चंद्रयान-2 ने आखिरी समय में चुनौतियों का सामना किया, लेकिन जो आपने साहस दिखाया वह ऐतिहासिक है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानता हूं. इसमें कोई शक नहीं है कि वह और उनकी इसरो टीम यह जरूर कर पाएगी.
इसरो का मिशन चंद्रयान-2 भले ही इतिहास नहीं बना सका लेकिन वैज्ञानिकों के जज्बे को देश सलाम कर रहा है. मिशन के पूरा होने और देश के इतिहास रचने के लम्हे का देश रात को जाग कर बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन कुछ ही पल में मायूसी छा गई.
भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है. रूस ने 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके. वहीं अमेरिका भी इस होड़ में पीछे नहीं था. 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशनों में से 17 नाकाम रहे.
यही नहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 6 मानव मिशन भी भेजे. इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए. इसके अलावा इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था. इजरायल की एक प्राइवेट कंपनी का ये मिशन 4 अप्रैल को चंद्रमा की कक्षा में तो आ गया लेकिन 10 किलोमीटर दूर रहते ही पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया.