IMF की बड़ी चेतावनी, सुस्ती के दौर में वैश्विक अर्थव्यवस्था, भारत पर सबसे ज्यादा असर !!!

(Pi Bureau)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF ) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा है कि देशों के बीच व्यापार विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। जॉर्जिवा ने कहा है कि साल 2019 में दुनिया की 90 फीसदी अर्थव्यवस्था के मंदी के चपेट में आने की आशंका है। भारत में इसका सबसे ज्यादा असर दिखेगा। उन्होंने भारत में इस साल गिरावट और ज्यादा रहने की चेतावनी दी है। 

दशक के निचले स्तर पर आ सकती है ग्रोथ रेट 

जॉर्जिवा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10 सालों के निचले स्तर पर आने की आशंका भी जाहिर की है। बता दें कि यह आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर जॉर्जिवा का पहला संबोधन था। आगामी सप्ताह में आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठकें शुरू हो जाएंगी। 

नरमी से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था 

मौजूदा समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था कई कारकों की वजह से नरमी से गुजर रही है। इसलिए वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच सकती है। आगे जॉर्जिवा ने कहा कि एक रिसर्च के अनुसार, व्यापार विवादों का प्रभाव व्यापक है। जलवायु परिवर्तन दुनिया की अर्थव्यवस्था के सामने एक और बड़ी चुनौती है। इसके सुधार के लिए न्होंने कार्बन कर बढ़ाए जाने का आह्वान भी किया है।

15 अक्तूबर को जारी होंगे वृद्धि दर अनुमान के आंकड़े

15 अक्तूबर को आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान के आधिकारिक संशोधित आंकड़े जारी करेगा। इससे पहले आईएमएफ ने साल 2019 में वृद्धि दर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। साल 2020 के लिए 3.5 फीसदी का अनुमान जताया गया था। जॉर्जिवा ने कहा है कि आईएमएफ चालू और आगामी वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को घटा रहा है।

IMF ने घटाया था विकास दर का अनुमान

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाया था। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात रहने की उम्मीद जताई है। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा था कि कॉर्पोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई। 

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