(Pi Bureau)
विश्व बैंक ने रविवार को मौजूदा वित्त वर्ष में भारत के विकास दर का अनुमान कम कर दिया है। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को झटका लग सकता है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत की विकास दर छह फीसदी रह सकती है। जबकि साल 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी।
आईएमएफ के साथ बैठक के बाद की घोषणा
विश्व बैंक का कहना है कि साल 2021 में वृद्धि दर दोबारा 6.9 फीसदी पर आ सकती है। वहीं 2022 में इसमें और भी सुधार हो सकता है। साल 2022 में भारत की विकास दर 7.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF ) के साथ सालाना बैठक के बाद विश्व बैंक ने ये घोषणा की है।
विश्व बैंक ने कहा है कि लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर कम हुई है। 2017-18 में यह 7.2 फीसदी थी। मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज बढ़ने से इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ बढ़कर 6.9 फीसदी हो गई। वहीं एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ 2.9 फीसदी और 7.5 फीसदी तक रही है।
15 अक्तूबर को आईएमएफ जारी करेगा आंकड़े
15 अक्तूबर को आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान के आधिकारिक संशोधित आंकड़े जारी करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाया था। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात रहने की उम्मीद जताई है। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा था कि कॉर्पोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई।
लग सकता है झटका
विकास दर को घटाने के अनुमान से केंद्र सरकार की देश को 50 खरब इकोनॉमी बनाने की कवायद को भी झटका लग सकता है। अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर देखने को या फिर धीमी रफ्तार रहेगी तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा। फिलहाल देश में कई सेक्टरों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुराने स्टॉक को भी नहीं खरीद रहे हैं। 50 खरब अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विकास दर में तेजी रखने के लिए कोशिशों को जारी रखना होगा।