(Pi Bureau)
लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण व आवास विकास से लाइसेंस प्राप्त डेवलपर्स व बिल्डर जो कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं उनपर कसेगा नकेल । रियल स्टेट बिल के लागू होने के बाद ऐसे डेवलपर्स और बिल्डरों पर लगातार शिकंजा कसा जायेगा , यही योगी की चाहत है वहीं आवेदकों को भी राहत मिलेगी। लखनऊ व गाजियाबाद में विकास प्राधिकरणों व आवास एवं विकास परिषद से लाइसेंस लेने वाले ऐसे विकासकर्ताओं की यही स्थिति है। इंटीग्रेटड टाउनशिप के लिए लाइसेंस की निर्धारित शतरे में डेवलपर्स को आवासीय योजना में फ्लैटों के सापेक्ष ईडब्लूएस व एलआईजी भवन भी बनाना अनिवार्य है। यही नहीं पहले चरण से ही यह अनिवार्यता लागू हो जाती है। लेकिन एलडीए व आवास विकास से लाइसेंस लेने वाले डेवलपर्स ने इस अनिवार्यता के अनुरूप एक भी निर्माण नहीं किए हैं। रियल एस्टेट एक्ट (रेरा) के जद में निजी बिल्डरों के साथ ही एलडीए व आवास विकास भी आएंगे। आवासीय योजनाओं में कब्जे के लिए शहर में करीब पचास हजार से अधिक आवंटी परेशान हैं, इसमें से तीन हजार से अधिक सिर्फ एलडीए के हैं। इस बिल के लागू होने के बाद एलडीए पर भी कार्रवाई हो सकेगी। एलडीए ने 2005 से ग्रुप हॉउसिंग बनाकर फ्लैट देने की योजना शुरू की थी। इसकी शुरुआत गोमती नगर विस्तार के फेज 1 और 2 से हुई। यहां गंगा, यमुना, सरस्वती सहित सात अपार्टमेंट बनाए गए। आवंटियों को फ्लैट के साथ स्विमिंग पूल, कम्युनिटी सेंटर, पार्क, चिल्ड्रन प्लेइंग एरिया, ग्रीन गैस कनेक्शन आदि देने का सब्जबाग दिखाया गया था। लेकिन एलडीए अब तक यह वादा पूरा नहीं कर सका है यहीं नहीं फ्लैटों में घटिया निर्माण भी सामने आ रहे हैं। रेरा आने से आवास विकास , एलडीए सहित प्राइवेट बिल्डर्स भी इसकी जद में आयेंगे