Shashwat Tewari
सर्राफा बाजार में यदि व्यापक जांच की जाए तो नोटबंदी के बाद सोने के भाव में उतार-चढ़ाव भ्रष्टाचार के ही कारण घटा बड़ा है। जिसका कारण यह भी है कि अधिकारियों ने जमकर सोना खरीदा। इसमें इक्का-दुक्का नेता भी हो सकते हैए लेकिन अधिकारी कर्मचारियों का यह आंकड़ा काफी बड़ा है। रतलाम सर्राफा बाजार में तीन-चार बड़े व्यापारी हैए जिनका करोड़ों अरबों रुपए में व्यापार है और वे हमेशा चर्चाओं में रहे भी है। कहते है ऐसे भी सर्राफा व्यापारियों के यहां नोटबंदी के प्रारंभिक दिनों में जमकर सोना खरीदा गया। रातो-रात सोने के भाव में तेजी आ गई और हजार पांच सौ के नोट प्राप्त कर सोना बेचा गया।
चर्चा यह भी रही कि 20 से 30 प्रतिशत कम में 1000-500 के नोट कतिपय व्यापारियों द्वारा लिए गए। कई लोगों ने इस संबंध में पुष्ठि करने का भी प्रयास कियाए लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं कि इस प्रकार का गौरखधंधा कौन-कौन व्यापारी कर रहे थे लेकिन करोड़ों रुपए जिन अधिकारी नेताओं के पास है उन्होंने रातो-रात बड़े नोटो को ठिकाने लगाने के लिए अपने हितेषियों को मोर्चे बंदी पर लगा दिया ताकि वे इनके बदले दूसरी करंसी प्राप्त करें अथवा उनके बदले सोना खरीदे। अनुमान के तौर पर करोड़ों रुपयों का सोना किलो के रुप में खरीदा गया।