(Pi Bureau)
कोरोना वायरस के चलते अमेरिका में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है। तीन लाख से भी ज्यादा संक्रमित मामले सामने आने के बाद अमेरिका ने भारत से मदद मांगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की मांग की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैंने आज सुबह प्रधानमंत्री मोदी से बात कही। वे बड़ी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बनाते हैं। भारत इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।’
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, डीजीएफटी ने कहा था कि मानवता के आधार पर मामले-दर-मामले में इसके कुछ निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।
कोरोना वायरस संक्रमण के तीन लाख से अधिक पुष्ट मामलों और 8,000 से अधिक मौत होने के साथ अमेरिका इससे सबसे अधिक प्रभावित देश के तौर पर उभरा है। इस वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है।
अमेरिका और दुनिया के वैज्ञानिक दिन रात एक करके इस वायरस के खिलाफ कोई टीका या सटीक इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। इस महामारी के कारण दुनिया में अब तक 64,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 11 लाख 53 हजार 142 संक्रमित हैं।
कुछ शुरुआती परिणामों के आधार पर ट्रंप प्रशासन कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का उपयोग करने पर जोर दे रहा है। यह दवाई दशकों से मलेरिया में उपचार के काम आती है। पिछले शनिवार को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से तुरंत मंजूरी के बाद, कुछ अन्य दवा के संयोजन के साथ मलेरिया की दवा का उपयोग करके न्यूयॉर्क में लगभग 1,500 कोरोना रोगियों का उपचार किया जा रहा है।
ट्रंप के अनुसार दवा के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यदि यह सफल हो जाता है, तो यह स्वर्ग से मिले किसी तोहफे के समान होगा। अगले कई हफ्तों में, अमेरिका के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के कारण एक लाख से दो लाख मौतों का अनुमान लगाया है।
कोरोना वायरस के उपचार में एक सफल दवा होने की आस में, अमेरिका पहले ही लगभग 29 मिलियन खुराक का स्टॉक कर चुका है। इसी संदर्भ में ट्रंप ने मोदी से अनुरोध किया है कि वह अमेरिका के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की लाखों खुराक रिलीज कर दें। भारत बड़े पैमाने पर इस दवा का उत्पादन करता है।