(Pi Bureau)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रभाव की फिर से समीक्षा की है। इसके साथ ही महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित सेक्टर्स के लिए दूसरे राहत पैकेज की संभावना भी बढ़ गई है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण छोटे उद्योगों से लेकर एविएशन सेक्टर तक को नुकसान पहुंचा है और लोखों नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इसी मुद्दे पर चर्चा की है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण कई एजेंसियों ने हाल ही में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ के अपने अनुमान में भारी गिरावट की है। पीएम की इस बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा हुई है। सूत्रों के अनुसार, बैठक में भविष्य में आने वाली चुनौतियों के बारे में प्रमुखता से चर्चा हुई है।
वर्ल्ड बैंक के ताजा मूल्यांकन के अनुसार, भारत के 1.5 फीसद से 2.8 फीसद की दर से विकास करने का अनुमान है। उसी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को साल 2020 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 1.9 फीसद बताया है। आईएमफ ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 के बाद की सबसे बुरी मंदी से गुजरेगी। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण देश में एमएसएमई, हॉस्पिटेलिटी, सिविल एविएशन और एग्रीकल्चर सहित कई सेक्टर्स को नुकसान पहुंचा है।
सरकार ने आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक सशक्त समूह का गठन किया है। इस समूह को लॉकडाउन के बाद तेजी से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उपाय सुझाने का कार्य दिया गया है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर्स के लिए मदद और सुधार उपायों पर कार्य के साथ ही गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में गरीबों, मजदूरों और किसानों की समस्याओं पर भी चिंता जताई थी।