(Pi Bureau)
कोरोना के बढ़ते प्रकोप और इसकी वजह से लॉकडाउन के बीच देश में वित्त आयोग की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक आज यानी गुरुवार से शुरू होने जा रही है. इस बैठक में कोरोना महामारी की वजह से राज्यों के वित्तीय सेहत, कोरोना का जीडीपी पर असर, तथा इसके लिए रणनीति में बदलाव पर चर्चा हो सकती है.
गौरतलब है कि कोविड 19 के प्रकोप की वजह से आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से लगभग ठप पड़ गई हैं और राजस्व संग्रह भी जमीन पर आ गया है. ऐसे समय में 23-24 अप्रैल को पंद्रहवें वित्त आयोग की आर्थिक सलाहकार परिषद महत्वपूर्ण बैठक करने जा रही है. आर्थिक सलाहकार परिषद संविधान के तहत नियुक्त एक संस्था है जिसका काम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्तीय हालत का आकलन करना और केंद्र एवं राज्यों के बीच टैक्स राजस्व की हिस्सेदारी तय करना.
राजस्व के स्रोत घट जाने की वजह से राज्यों की आर्थिक हालत खराब है और वे केंद्र सरकार से ज्यादा टैक्स राजस्व की उम्मीद कर रहे हैं. इसके अलावा पावर और कई महत्वपूर्ण सेक्टर के लिए राहत पैकेज, रिजर्व बैंक की ईएमआई टलने की सुविधा आगे बढ़ाने, कोयले जैसे आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी माफ करने जैसे कई मसलों पर भी राज्यों ने पीएम के सामने अपनी मांग रखी है.
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष पूर्व नौकरशाह एन के सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने इस साल 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी सिफारिशों वाली रिपोर्ट सौंप दी है. लेकिन 2021-26 के पांच साल की अंतिम रिपोर्ट आयोग द्वारा इस साल 30 अक्टूबर तक सौंपी जानी थी. लेकिन कोरोना की वजह से सभी वित्तीय योजनाओं पर ग्रहण लग गया है और अपनी अगली रिपोर्ट के लिए आयोग नए सिरे से पूरी कवायद करनी होगी.
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के साथ इस बार मीटिंग ऑनलाइन होगी और 23 अप्रैल को इसमें सलाहकार परिषद के 5 सदस्य-मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम, डॉ. साजिद जेड चिनॉय, डॉ. प्राची मिश्रा, नीलकंठ मिश्रा और डॉ. ओंकार गोस्वामी शामिल होंगे. बाकी सदस्यों के साथ मीटिंग अगले दिन यानी 24 अप्रैल को होगी.