( Pi Bureau) नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक पर अहम फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक बताया और इसे देश में खत्म करने का ऐलान किया। हालांकि 5 में से 3 जजों ने तीन तलाक गलत करार दिया।
इस मामले की सुनवाई कर रहे पांचों जजों के बारे में सबसे खास बात यह है कि पांचों ही अलग धर्म से संबंधित हैं। प्रधान न्यायाधीश खेहर के अलावा, पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
इन 5 जजों की पृष्ठभूमि पर एक नजर-
1. जस्टिस जगदीश सिंह खेहर
जस्टिस खेहर सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वे देश के पहले सिख चीफ जस्टिस हैं। वे देश के 44वें चीफ जस्टिस हैं। 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और इस साल 27 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं।
2. जस्टिस कुरियन जोसफ
जस्टिस जोसफ क्रिश्चिएन हैं और केरल से ताल्लुक रखते हैं। 1979 में उन्होंने केरल हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। 2000 में केरल हाईकोर्ट के जज बने और इसी हाईकोर्ट में दो बार कार्यकारी चीफ जस्टिस बने। 2010-13 के दौरान हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस रहे और आठ मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस जोसफ 29 नवंबर, 2018 को रिटायर होंगे।
3. रोहिंग्टन फली नरीमन
नरीमन पारसी हैं। 1956 में जन्मे नरीमन महज 37 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर काउंसल बने। हालांकि उस वक्त इस पद के लिए कम से कम 45 साल की उम्र जरूरी थी लेकिन जस्टिस वेंकटचेलैया ने नरीमन के लिए नियमों में संशोधन किया। नरीमन पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में रुचि और इसके गहन जानकार हैं।
4. जस्टिस उदय उमेश ललित
1957 में जन्मे जस्टिस ललित हिंदू धर्म से संबंधित हैं। जस्टिस ललित ने 1983 में बांबे हाई कोर्ट से वकालत शुरू की। अप्रैल, 2004 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने। वे 2जी मामले में सीबीआई की तरफ से विशेष अभियोजक रहे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जस्टिस ललित 2022 में रिटायर होंगे।
5. जस्टिस एस अब्दुल नजीर
1958 में जन्मे जस्टिस नजीर मुस्लिम हैं। उन्होंने 1983 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज बने और उसके अगले ही साल स्थायी जज बने। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।