अब भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या को लेकर पीएम ओली ने दिया अजीबोगरीब बयान, कहा….!!!

(Pi Bureau)

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली एक तरफ जहां अपनी कुर्सी बचाने के लिए लगातार तिकड़म कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ वह भारत के खिलाफ भी खूब बयानबाजी कर रहे हैं। चीन की शह पर चल रहे केपी ओली जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए कभी नए नक्शे में भारतीय क्षेत्र को अपना बता रहे हैं तो कभी नेपाल में कोरोना वायरस के प्रसार के लिए भारत से आ रहे लोगों को कसूरवार ठहरा रहे हैं।

इस बीच, भारत के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान देकर अपनी कुर्सी बचाने की फिराक में लगे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने इस बार हिंदुओं के आराध्य भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया है। ओली ने कहा कि भगवान राम नेपाली हैं न कि भारतीय। नेपाल की मीडिया ने केपी ओली का हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने कहा- “असली अयोध्या नेपाल में है, न कि भारत में। भगवान राम नेपाली हैं न कि भारतीय।”

नेपाल को सांस्कृतिक रूप से दबाया गया है : ओली
कवि भानुभक्त आचार्य की जयंती पर प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने आरोप लगाया कि नेपाल को सांस्कृतिक रूप से दबाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘हमें सांस्कृतिक रूप से दबाया गया है। तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है। हम अब भी मानते हैं कि हमने भारतीय राजकुमार राम को सीता दी थी। लेकिन हमने भारत की अयोध्या के राजकुमार को सीता नहीं दी थी। असली अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में स्थित एक गांव है, न कि वह जिसे अब बनाया गया है।’

‘अयोध्या अगर भारत में तो इतनी दूर कैसे आए राम’
अपनी बात को साबित करने के लिए ओली ने सवाल किया कि अगर असली अयोध्या वही है जो भारत में है तो राजकुमार विवाह के लिए इतनी दूर जनकपुर कैसे आ सकते थे। उन्होंने दावा किया कि  ज्ञान-विज्ञान की उत्पत्ति और विकास नेपाल में हुआ। उन्होंने इस पर खेद जताया कि इसे जारी नहीं रखा जा सका। पहले भी भारत पर नेपाल की सीमा पर कब्जा करने का आरोप लगा चुके ओली का यह बयान उनकी भारत के प्रति मानसिकता को दर्शाता है। 

नेपाल ने हाल ही में अपने नक्शे को संशोधित किया था और भारत के उत्तराखंड के चार इलाकों के नेपाल का होने का दावा किया था। दरअसल, भारत ने लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्धाटन किया था। तब से ही ओली सरकार दावा करती आ रही है कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के क्षेत्र नेपाल के हिस्से में आते हैं। इसे लेकर नेपाल की संसद ने नए नक्शे को भी मान्यता दे दी है। 

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