सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ‘राइट टू प्राइवेसी एक्ट’ मौलिक अधिकारों में शामिल

(Pi Bureau) नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार करार दिया है। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आता है। संविधान पीठ ने इस संबंध में एमपी सिंह और खडग सिंह मामले में शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले को भी पलट दिया।

कोर्ट की खास बातें:
1. मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहार ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि पीठ पर सीनियर सीनियर जज हैं। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि यह फैसले उनके द्वारा नहीं लिखा गया, लेकिन इसमें सबकी सर्वसम्मति थी। उन्होंने यह भी कहा कि छह और आठ सदस्यीय बैंच के पिछले दो फैसले रद्द किए जा रहे हैं।

2. राइट टू प्राइवेसी जीवन के अधिकार के लिए जरूरी है और अब अनुच्छेद 21, भाग 3 का हिस्सा है।

3. जस्टिस खेहर ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 21, जिसमें अब राइट टू प्राइवेसी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। ये कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, कोई व्यक्ति अपने जीवन या निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं होगा।

4. पीठ के सभी जजों के निर्णयों के आधार पर सीजीआई खेहर ने कहा कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है।

5. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये आधार कार्ड को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है।

क्या होगा राइट टू प्राइवेसी के फैसले आप पर असर:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवाह, लिंग, परिवार के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां अब आप देने के लिए बाध्य नहीं हैं। निजी विवरण जैसे कि क्रेडिट कार्ड, सोशल नेटवर्क प्लेटफार्मों, आईटी संबंधित जानकारियां भी अब हर जगह शेयर करने को बाध्य नहीं हैं। कोर्ट के फैसले के बाद आपकी सभी जानकारियां अब संरक्षित हैं। इतना ही नहीं सभी सार्वजनिक जानकारियां, जहां आपकी गोपनीयता सुरक्षा के लिए न्यूनतम नियमों की आवश्यकता होती है, वो भी संरक्षित हैं। अब, राइट टू प्राइवेसी संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 से जुड़ गया गया है।

 

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