…तो अब दक्षिण कोरिया की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग टीम से सीखना होगा कोरोना वायरस को हराने का तरीक !!!

मई में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में जब कोरोना वायरस ने नाइटक्लब में पैर पसारने शुरू किए तो स्वास्थ्य विभागों ने जल्द ही अपने संस्करण के नौसेना सैनिकों, महामारीविदों की टीम, डाटाबेस विशेषज्ञ और प्रयोगशाला तकनीशियनों को खड़ा कर दिया था।

एक शोध बताता कि है कि नाइटक्लब से कोरोना वायरस छात्र तक, छात्र से टैक्सी ड्राइवर और फिर एक वेयरहाउस कर्मचारी तक पहुंचा, जो चार हजार कर्मचारियों के साथ काम करता था। कर्मचारी और उनके परिवार और संपर्क में आए लोगों को मिलाकर कुल नौ हजार लोगों का टेस्ट किया गया।

दो हफ्तों बाद इन कुल लोगों में से 152 लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आया। दक्षिण कोरिया की रिस्पॉन्स टीम जिसने दूसरी लहर आने पर भी बेहतरीन काम किया और बिना लॉकडाउन के कोरोना वायरस पर काबू करने की कोशिश की। दक्षिण कोरिया ने चीन की तरह संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया, ना ही न्यूजीलैंड की तरह विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाया।

इस देश ने अपने यहां हॉटस्पॉट को टारगेट बनाया और फिर लोगों के आने-जाने की अनुमति दी ताकि व्यापार और अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर ना पड़े। दक्षिण कोरिया के सीडीसी के डिप्टी वैज्ञानिक निदेशक क्वोन डोंगयोक का कहना है कि हमारा मकसद मामलों के बीच के संपर्क को ढूंढना और उस पर काम करना था। 

उन्होंने कहा कि संभावित संपर्क और इंफेक्शन के कारण को ढूंढने की वजह से ही हम आज कोरोना वायरस के प्रकोप को रोक सके है। देश में अब वायरस की अनजान उत्पत्ति के साथ संक्रमण की दर भी काफी कम है। ये देश में आठ फीसदी है। दक्षिण कोरिया इसलिए जीत पाया क्योंकि उसके पास भूतकाल के अनुभव रहे हैं, जिनसे सीख लेकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई।

दक्षिण कोरिया में कोरोना के कुल 14,000 मामले हैं और 300 लोगों के करीब यहां मरीजों की वायरस से मौत हुई है। तब से मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम के 2015 के संक्रमण से लिए गए फैसलों के बाद कोरोना की दूसरी लहर से बचाव में दक्षिण कोरिया को मदद मिली।

दक्षिण कोरिया के सीडीसी में लगभग 100 महामारी जांचकर्ता हैं, जिनमें से दो एमईआरएस संक्रमण के समय मौजूद थे। दक्षिण कोरिया में चर्च से लेकर क्लब और बेडमिंटन क्लब जैसी जगहों की जांच की गई। कम मात्रा में संक्रमण होने पर वहां का स्थानीय प्रशासन ही संभालता है लेकिन ज्यादा खतरा हो जाने से इमीडिएट रिस्पॉन्स टीम को बुलाया जाता है।

पूर्व सीडीसी निदेशक जंग की सक का कहना है कि दक्षिण कोरिया के कोरोना महामारी को काबू करने की योजना का सबसे महत्वपूर्ण बिंदू यह था कि यहां हर मरीज का महामारी विज्ञान जांच के जरिए इलाज चल रहा था। महामारी विज्ञान जांच इसलिए कभी महत्वपूर्ण नहीं रही क्योंकि हम संक्रमण के आकार को कम कर सकते थे और नए मामलों को रोक सकते थे।

दक्षिण कोरिया में सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन और अलग तरह की निगरानी की प्रक्रिया को अपनाकर संक्रमण पर रोक लगाई गई। जो व्यक्ति जिससे संपर्क में आया उसका टेस्ट किया गया और दूसरे लोगों के संपर्क में आए लोगों को सचेत किया गया। 

इस प्रक्रिया में जांचकर्ताओं ने सैकड़ों घंटे लगाए, जिसमें क्रेडिट कार्ड के ट्रांजैक्शन की निगरानी, मोबाइल फोन और सीसीटीवी फुटेज देखना था। क्वोन डोंगयोक ने कहा कि अगर हम किसी किसी लिंक या संपर्क को भूल जाते हैं या याद नहीं रखते हैं या एक भी छोटी से ़डिटेल को इधर से उधर कर देंगे तो निश्चित रूप से कोरोना के मामले दोबारा बढ़ जाएंगे।

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