(Pi Bureau)
निर्देशक अली अब्बास द्वारा निर्देशित वेब सिरीज ‘तांडव’ को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई राज्यों में विरोध और मुकदमों के बाद तांडव की टीम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टीम ने उनके खिलाफ हुई एफआईआर को रद्द करने का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर आज सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट में अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्यूब, अमेजन प्राइम वीडियो (भारत) और तांडव के मेकर्स की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान ‘तांडव’ के निर्माताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने अदालत को बताया कि सीरीज में से कुछ आपत्तिजनक कंटेंट को हटा दिया गया था और इस संबंध में माफी भी मांगी गई थी।
उन्होंने कहा कि अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है। नरीमन ने अदालत से कहा कि जिन कंटेंट से लोगों की तथाकथित धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची थी, उन्हें हटा दिया गया है।
बता दें कि अमेजन प्राइम इंडिया की प्रमुख अपर्णा पुरोहित, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा, सीरीज के लेखक गौरव सोलंकी और एक्टर जीशान अयूब ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।मालूम हो कि ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर 16 जनवरी को वेब सीरीज ‘तांडव’ रिलीज हुई थी। इसके बाद से लगातार यह विवादों में बनी हुई है। निर्माताओं पर आरोप है कि सीरीज के माध्यम से उन्होंने समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
बता दें कि सिरीज पर हुए बवाल के बाद अली अब्बास जफर पहेल ही एक माफीनामा जारी कर चुके हैं। अली ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट जारी करते हुए लिखा था, ‘हम तांडव वेब सीरीज को मिल रही दर्शकों की प्रतिक्रियाओं को करीब से देख रहे हैं और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ विमर्श के दौरान उन्होंने हमें बड़ी तादाद में आ रही उन शिकायतों और याचिकाओं के बारे में बताया, जिनमें लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बातें कही गई हैं’। उन्होंने स्पष्ट लिखा था कि ‘तांडव एक काल्पनिक कहानी है और किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता महज एक संयोग है। कास्ट या क्रू का किसी व्यक्ति, जाति, समुदाय, मजहब, आस्था, राजनीतिक पार्टी या जिंदा या मृत व्यक्ति की भावनाओं को चोट पहुंचाने या अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। कास्ट और क्रू सभी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए बिना शर्त माफी मांगते हैं’।