(Pi Bureau)
वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। कोविड-19 महामारी से तंगहाल अर्थव्यवस्था में इस बजट से लोगों ने काफी उम्मीदें लगा रखी हैं। माना जा रहा है कि इस बजट में इनकम टैक्स में छूट के अलावा आम आदमी को राहत देने के दूसरे उपाय भी किए जाएंगे। कोविड-19 महामारी की वजह से माना जा रहा है कि यह बजट कई मामलों में पहले के मुकाबले काफी अलग हो सकता है। इसमें हेल्थ सेक्टर के साथ दूसरे क्षेत्रों के लिए भी खर्च में बढ़ोत्तरी की घोषणा की जा सकती है। इन्श्योरेंस सेक्टर का मानना है कि इस बजट में देश के हर नागरिक के लिए बीमा कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
देश में इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना बुरे समय में आर्थिक मदद के बजाय खर्च ही माना जाता है. इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे में सरकार को लोगों को बीमा योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए कदम उठाने चाहिए. साथ ही गैर-जीवन बीमा के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए टैक्स बेनेफिट्स लिमिट बढ़ानी चाहिए. साथ ही सरकार को नई बीमा योजनाओं को शुरू करने पर विचार करना चाहिए, जिससे लोगों को ज्रूादा फायदा मिल सके. बता दें कि सभी लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को धारा-80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है.
धारा-80C में शामिल हैं ईएलएसएस, पीपीएफ समेत कई प्रोडक्ट्स
आयकर कानून की धारा-80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है. बता दें कि धारा-80C में ईएलएसएस (ELSS), पीपीएफ (PPF), एनएससी (NSC) जैसे बहुत से दूसरे प्रोडक्ट्स शामिल हैं. ऐसे में लोग धारा-80C के तहत टैक्स बचत के लिए बीमा योजना के बजाय ऐसे विकल्पों में पैसा लगाना बेहतर समझते हैं, जिसमें उन्हें टैक्स छूट के साथ ही लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न भी मिल सके. इसलिए सरकार धारा-80C के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकती है, ताकि 1.50 लाख रुपये की मौजूदा सीमा को बढ़ाया जा सके.