(Pi Bureau)
नेपाल में बड़ा राजनीतिक फेरबदल हुआ है, जहां केपी शर्मा ओली ने हारी बाजी जीत ली। जिसके बाद उनको राष्ट्रपति विद्या भण्डारी ने नेपाली संविधान के तहत सबसे बड़े दल का नेता होने के कारण प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया है। अब शुक्रवार यानी कल वो फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद पुष्पकमल दाहाल और विपक्ष को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उनके हाथ से जीती हुई बाजी निकल गई।
दरअसल नेपाली पीएम ओली के खिलाफ उनके पार्टी के नेताओं समेत विपक्ष ने भी मोर्चा खोल दिया था। 10 मई राष्ट्रपति ने ओली से संसद में बहुतम साबित करने को कहा। इसके बाद वहां पर पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। जिस वजह से सरकार अल्पमत में आ गई और राष्ट्रपति ने विपक्ष को बहुमत साबित करने को कहा, लेकिन वो भी नाकाम रहे। ऐसे में नेपाली संविधान की वजह से राष्ट्रपति ने ओली को सबसे बड़े दल का नेता होने की वजह से दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।
जानकारी के मुताबिक अगर नेपाल की विपक्षी पार्टियां नेपाली कांग्रेस, माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी ने एकजुटता दिखाई होती तो ओली दोबारा प्रधानमंत्री ना बनते। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्षी दल सत्ताधाली दल के जाल में फंसे और आपस में उलझ गए, जिस वजह से ओली का रास्ता आसान हो गया। कुछ दिनों पहले जनता समाजवादी पार्टी में हुए विभाजन का भी फायदा सत्ताधारियों को मिला।