(Pi Bureau)
अफगानिस्तान में तालिबान लगातार हमले कर रहा है। अफगान सेना ने तालिबान को कई जगहों से पीछे धकेला है लेकिन तालिबान कई जिलों पर कब्ज़ा कर चुका है। इस पूरे लड़ाई में पाकिस्तान दोतरफा खेल रहा है। पाकिस्तान सुन्नी पश्तून इस्लामी कट्टरपंथी ग्रुप का समर्थन कर रहा है। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के पास पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथी ताकतों से निपटने की कोई निश्चित योजना नहीं दिख रही है।
अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति के बीच पाकिस्तान, शिनजियांग और उज्बेकिस्तान के आतंकी पूर्वी और उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाले इलाके में पहुंच गए हैं।जानकारी के मुताबिक़ 6 अगस्त तक अफगानिस्तान के 218 जिले तालिबान के कब्जे में हैं, जबकि अफगानिस्तान सरकार का 120 जिलों पर नियंत्रण है। 99 जिलों में तालिबान और अफगानिस्तान सेना के बीच लड़ाई जारी है।
महिलाओं पर बढ़ा अत्याचार
तालिबान ने बदख्शां, तखर और गजनी प्रदेश में एक फतवा जारी किया है। इसमें कहा गया है कि तालिबान के लड़ाके 12 साल से अधिक उम्र की लड़कियों और विधवाओं को ले जा सकते हैं। तालिबान, अफगान सुरक्षा बलों के साथ ही उनके परिवार वाले और आम लोगों को भी निशाना बना रहे हैं। हरेक घर की तलाशी ले रहे हैं और संपत्ति लूट रहे हैं। अफगान लोगों को पुराना तालिबान शासन याद रहा है क्योंकि 25 साल बाद भी तालिबान ने अपनी रणनीति नहीं बदली है और जबरन इस्लामी शरिया नियमों को लागू कर रहा है।
अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के लड़ाके तालिबान की छत्रछाया में ऑपरेट कर रहे हैं। हाल ही में तालिबानी लड़ाकों ने बल्ख जिले में एक 21 साल की महिला की बुर्का नहीं पहनने पर हत्या कर दी थी।
पाकिस्तान दोनों ओर से खेल रहा
इस सबके बीच पाकिस्तान दोतरफा रणनीति पर काम कर रहा है। अमेरिका, इंग्लैंड की कोशिशों के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के दौरे पर जाने वाले हैं। गनी पाकिस्तान में तालिबान नेता मुल्ला उमर और हक्कानी नेटवर्क के सिराजुद्दीन हक्कानी आदि के साथ अफगानिस्तान में शांति को लेकर बातचीत करेंगे। इसी के साथ एक ही समय पर पाकिस्तानी ड्रोन जलालाबाद और नंगरहार प्रदेश में टोही कर रहे हैं और हालात को लाइव मॉनिटर कर रहे हैं। हाल ही में अफगान सेना ने जानकारी दी थी कि तालिबान के खिलाफ कारवाई में एक पाकिस्तानी सेना के अफसर मारे गए थे जो तालिबान की ओर से लीड कर रहे थे। इसके साथ ही कई और रिपोर्ट्स बताती है कि तालिबान के समर्थन में हज़ारों पाकिस्तानी लड़ाके अफगानिस्तान पहुंच रहे हैं।