तालिबान सरकार में जंग, हक्कानी नेता से कहासुनी के बाद बरादर ने छोड़ा काबुल !!!

(Pi Bureau)

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनते ही आपसी रार भी शुरू हो गई है। तालिबान सरकार में डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बनाए गए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हक्कानी नेटवर्क से मतभेद के बाद काबुल छोड़ने की खबर है। पिछले सप्ताह राष्ट्रपति भवन में बरादर और हक्कानी नेटवर्क के नेता खलील उर-रहमान के बीच कहासुनी हो गई। इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए। खलील उर-रहमान तालिबान सरकार में शरणार्थी मंत्री हैं।

एक वरिष्ठ तालिबानी नेता ने बताया है कि काबुल के राष्ट्रपति कार्यालय में अंतरिम कैबिनेट को लेकर दोनों नेताओं के बीच बहस हुई थी। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अलग-अलग समूहों के बीच नेतृत्व और सरकार गठन को लेकर संघर्ष रहा है। काफी गतिरोध के बाद अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा हो पाई थी।

तालिबान की राजनीतिक ईकाई की ओर से सरकार में हक्कानी नेटवर्क को प्रमुखता दिए जाने का विरोध किया जा रहा है। वहीं हक्कानी नेटवर्क खुद को तालिबान की सबसे फाइटर यूनिट मानता है। बरादर के धड़े का मानना है कि उनकी कूटनीति के कारण तालिबान को अफगानिस्तान में सत्ता मिली है, जबकि हक्कानी नेटवर्क के लोगों को लगता है कि अफगानिस्तान में जीत लड़ाई के दम पर मिली है।

बता दें कि दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच हुई कई दौर की वार्ता में अब्दुल गनी बरादर अगुवा के तौर पर थे। ऐसे में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का वह क्रेडिट लेते रहे हैं। वहीं हक्कानी नेटवर्क को तालिबानियों में सबसे खूंखार माना जाता है, जो पाकिस्तान की सेना से करीबी संबंध रखता है।

कंधार और अन्य क्षेत्र के तालिबानियों में भी सत्ता को लेकर छिड़ी जंग
तालिबान में कई स्तरों पर मतभेद है। कंधार प्रांत से आने वाले तालिबान के नेताओं और उत्तर एवं पूर्वी अफगानिस्तान से आने वाले लोगों के बीच भी मतभेद हैं। कंधार को तालिबान का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में वहां से ताल्लुक रखने वाले नेता सत्ता में अहम भागीदारी चाहते हैं। बीते कुछ दिनों से बरादर सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखे थे। इसके चलते ये अफवाहें भी थीं कि वह गोलीबारी में घायल हो गए हैं या फिर मौत हो गई है।

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