(Pi Bureau)
अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर हुए सत्ता परिवर्तन के बाद पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान(टीटीपी) का डर सताने लगा है। इमरान खान ने खुद कबूला है कि टीटीपी के कुछ संगठनों के साथ उनकी बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि हम सैन्य समाधानों का समर्थन नहीं करते हैं, इसलिए बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश जारी है। तहरीक-ए-तालिबान के संगठनों को हथियार छोड़ने के लिए राजी किया जा रहा है, हम चाहते हैं कि वे पाकिस्तान के संविधान का पालन करें। पिछले महीने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी कहा था कि हम उन टीटीपी के सदस्यों को माफ करेंगे, जो हथियार छोड़ देंगे।
विशेषज्ञों ने पहले से ही किया था आगाह
अफगानिस्तान पर तालिबान की जीत की खुशी मना रहे पाकिस्तान को विशेषज्ञों ने पहले ही टीटीपी के खतरे को लेकर आगाह किया था। विशेषज्ञों के मुताबिक तहरीक-ए-तालिबान के लड़ाके अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता परिवर्तन के बाद इस्लामाबाद के लिए खतरा बन सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी ने पाकिस्तान में भी अपनी गतिविधि बढ़ा दी है, जिससे बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
चीन के प्रोजेक्ट के लिए खतरा बन रहा टीटीपी
पाकिस्तान में चीन ने बड़ा निवेश किया है। उसके कई प्रोजेक्ट पाकिस्तान में निर्माणाधीन है। एक्सपर्ट का कहना है कि काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी का हौसला बढ़ा है। लड़ाकों का यह हौसला पाकिस्तान में चीन के प्रोजेक्टों के लिए खतरा बन सकता है।
पश्तून राज चाहता है टीटीपी
टीटीपी के नेता मुफ्ती वाली नूर मसूद ने पिछले दिनों कहा था कि वह अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन से खुश हैं। उम्मीद है कि अफगान तालिबान और टीटीपी के बीच अच्छे संबंध बनेंगे। इसके बाद विशेषज्ञों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर चिंता जाहिर की थी। सूत्रों के मुताबिक, टीटीपी के लड़ाके पाकिस्तान में पश्तून राज चाहते हैं।