(Pi Bureau) नई दिल्ली। पेट्रोल की कीमतों को लेकर हुई चोरतरफा घेराबंदी के आगे मोदी सरकार झुकती हुई नजर आ रही है तेल मार्केटिंग कंपनियों ने पिछले 15 दिनों में कच्चे तेल के दाम में तेजी व रुपए में जबरदस्त गिरावट के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं। 12 सिंतबर को कच्चे तेल का दाम 3443 रुपए प्रति बैरल था जबकि पेट्रोल का दाम 70.38 पैसे प्रति लीटर था।
आज कच्चे तेल के दाम 3728.70 रुपए प्रति बैरल है जबकि पेट्रोल के दाम महज 3 पैसे बढ़े हैं और दिल्ली में 27 सितंबर को पेट्रोल का दाम 70 रुपए 41 पैसे प्रति लीटर रहा यही हाल डीजल का भी है। डीजल के दाम में 4 पैसे प्रति लीटर की गिरावट देखी गई है। दिल्ली में 13 सितंबर को डीजल का भाव 58.72 रुपए प्रति लीटर था जो अब 58.68 रुपए प्रति लीटर है। सरकार ने 16 जून से कच्चे तेल की अंतराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर पेट्रोल और डीजल के दाम रोजना निर्धारित करने का फैसला किया था जिस दौरान ये फैसला लागू हुआ उस दिन कच्चा तेल 2931 रुपए प्रति बैरल था जबिक पेट्रोल के भाव 65.48 रुपए प्रति लीटर थे। 16 जून के बाद अबतक कच्चे तेल के दाम करीब 800 रुपए प्रति बैरल बढ़े हैं जबकि पेट्रोल की कीमतों में 4.93 रुपए प्रति लीटर के वृद्धि हुई है।
यदि मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80 रुपए लीटर पहुंचने के बाद सरकार पर चौतरफा दबाव न बढ़ता तो पिछले 15 दिन में तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम 2 से तीन रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा देती क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है और रुपया भी लगातार गिर रहा है जिससे तेल कंपनियों की लागत बढ़ी है अपनी इस लागत को पूरा करने के लिए तेल कंपनियां 1 अक्तूबर को एटीएफ (एयर ट्रबाइनल फ्यूल) के दाम 4 से 5 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा सकती है। वैसे भी सरकार पिछले 3 साल में एयरलाइंस के प्रति मेहरबान रही है और एटीएफ के दाम में ज्यादा वृद्धि नहीं की गई है।