अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का 100 दिन पूरे:: पड़ोसी देशों से रिश्ते बनाने की कोशिशें भी कामयाब नहीं !!!

(Pi Bureau)

अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। इस दौरान उसने यह सबक भी सीख लिया है कि किसी शासन को हटाकर देश पर कब्जा करना आसान है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाना नहीं।

अफगानिस्तान की नई सरकार का मुखिया मावलाई हबीबुल्ला अखंदजादा है। इस दौरान आमिर खान मुत्तकी के नेतृत्व में अफगान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाने के कूटनीतिक प्रयास कई बार किए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस्लामी मुल्क के अधिकारी क्षेत्र के कई देशों में गए। 

जवाब में करीब छह देशों के प्रतिनिधियों ने अफगानिस्तान की यात्रा कर उसके अधिकारियों से वार्ता की। इधर, ईरान, पाकिस्तान, भारत, रूस और चीन ने अफगानिस्तान के भविष्य पर बैठकों का आयोजन किया। जी-20 के नेताओं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अलग सत्र में अफगानिस्तान मुद्दे पर विचार किया।

अफगान सरकार की उम्मीदों के विपरीत इन बैठकों में इस्लामी सरकार को मान्यता देने के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया। इसके बजाय इन बैठकों का मुद्दा समावेशी सरकार, मानवाधिकार, विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता, शिक्षा के अधिकार, अफगान महिलाओं को रोजगार और लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दिलाना रहा। 

साथ ही कहा गया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंक के लिए न हो। इस दौरान इस्लामी सरकार की विदेश नीति और कूटनीतिक रिश्ते केवल कुछ पड़ोसी और क्षेत्रीय मुल्कों तक सीमित रहे। विदेश मंत्रालय के पूर्व सलाहकार फखरुद्दीन क्वारीजादा ने कहा कि दुनिया को इंतजार है कि तालिबान अपने पुराने वायदों पर खरा उतरता है या नहीं। 

11 देशों ने खोले दूतावास

फिलहाल सूचना आई है कि 11 देशों ईरान, पाकिस्तान, चीन, रूस, तुर्की, कतर, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, इटली और संयुक्त अरब अमीरात ने अफगानिस्तान में अपने दूतावास खोले हैं।

अफगान संकट के समावेशी हल की जरूरत : शृंगला

भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि अफगान संकट का बातचीत के जरिए समावेशी राजनीतिक हल निकालने की जरूरत है। साथ ही कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

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