(Pi Bureau)
अमेरिका ने भी मान लिया है कि अगर उसे सबसे अधिक किसी देश से खतरा है तो वह चीन है। वहीं दूसरे और तीसरे विरोधी के रूप में रूस और ईरान को माना है। इन तीनों देशों को टक्कर देने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग गुआम और ऑस्ट्रेलिया में सैन्य सुविधाओं का उन्नयन और विस्तार करेगा। इसके अलावा अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत क्षेत्र के कई दीपों पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करवाने और रोटेशपल बेस पर एयरक्राफ्ट की तैनाती की योजना बनाई है। इतना ही नहीं चीन की तानाशाही को रोकने के लिए अमेरिका ने अपने मित्र देशों के साथ गठजोड़ कर सहयोग नीति के जरिए काम करने की अपील की है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि सितंबर में ही इसका खाका तैयार कर लिया गया था।
अमेरिका ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से गठबंधन के बाद उठाया ये कदम
अमेरिका ने यह कदम ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक नए रक्षा गठबंधन के गठन के बाद उठाया है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका ने हाल ही में एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते की घोषणा की है, जिसे ‘ऑकस’ (AUKUS) का संक्षिप्त नाम दिया गया है। अमेरिका की ओर से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए ये कदम उठाया गया है। चीन और अमेरिका के बची कई मुद्दों को लेकर विवाद है। अमेरिका हमेशा से ही चीन में जारी मानवाधिकार उल्लंघन के अलावा ताइवान और दक्षिणी चीन सागर का मुद्दा उठाता आया है।
रूसी आक्रमण के खिलाफ हमारी योजना: अमेरिका
पेंटागन के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका का यह कदम यूरोप में रूसी आक्रमण के खिलाफ योजना को मजबूत करता है और नाटो बलों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने में सक्षम बनाता है। अधिकारी ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प के विघटनकारी दृष्टिकोण के बाद समीक्षा को आवश्यक महसूस किया, जिसने अमेरिकी प्रतिबद्धताओं को अचानक बदल दिया।