(Pi Bureau)
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यहां कि हालत बद से बदतर हो गई है। आलम यह है कि देश आतंकवाद का गढ़ बन गया। रविवार को नई दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत-मध्य एशिया संवाद के दौरान भारत सहित मध्य एशिया के पांच देशों ने अफगानिस्तान को तत्काल प्रभाव से मानवीय सहायता प्रदान करने का आह्वान किया। इन देशों ने एक सुर में कहा कि अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की जाए। इन देशों ने कहा कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
पांच मध्य एशियाई देशों में कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। संवाद के दौरान इन देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता है। सबने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिए अपने मजबूत समर्थन को दोहराया। एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और इसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर जोर देते हुए शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के लिए अपने मजबूत समर्थन को दोहराया।’
उद्घाटन भाषण में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने के तरीके खोजने पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा, ‘हम सभी अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध साझा करते हैं। उस देश में हमारी चिंताएं और उद्देश्य समान हैं।’ जयशंकर ने कहा, ‘हमारी आज की बैठक तेजी से बदलती वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के बीच हो रही है। कोरोना महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी झटका दिया है।’ भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।