शशि प्रकाश सिंह
नई दिल्ली ।
एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक ‘श्री राम की अयोध्या’ है, जिसे हमारे देश के प्रतिष्ठित इतिहासकार, श्री जितेंद्रकुमार सिंह संजय जी ने लिखा है। यह पुस्तक अयोध्या के इतिहास और सनातन धर्म के महत्व को न सिर्फ समझाती है, बल्कि इसके एक गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से भी रुबरु कराती है। लेखक ने इस बात पर जोर दिया है कि अयोध्या केवल सूर्यवंशियों की राजधानी नहीं थी, बल्कि यह सभी सनातन धर्मियों की आध्यात्मिक राजधानी है।
इस पुस्तक में प्रत्येक पृष्ठ, प्रत्येक अध्याय, और प्रत्येक वाक्य में अयोध्या की महानता के ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों की भरमार है। लेखक ने बड़े ही सूक्ष्मता और गहराई से ‘श्री राम’ के वंशवृक्ष का अध्ययन किया है और यह भी दिखाया है कि कैसे अयोध्या का जैन, बौद्ध और सिख पंथ से भी गहरा संबंध है।
इस पुस्तक में शोधित और तार्किक रूप से समझाए गए तथ्य और आंकड़े न केवल ज्ञानवर्धक हैं, बल्कि ये हमें अयोध्या के प्रति एक गहरी भक्तिभावना और सम्मान की भावना से भी ओत-प्रोत कराते हैं। यह पुस्तक एक ऐसा आधार प्रदान करती है, जो न केवल हमारी आध्यात्मिक जिज्ञासा को तृप्त करती है, बल्कि हमें भारतीय संस्कृति और इतिहास की गहराइयों में भी ले जाती है।
‘श्री राम की अयोध्या’ हर उस व्यक्ति के पुस्तक संग्रह का अनिवार्य हिस्सा होनी चाहिए, जो सनातन धर्म और भारतीय इतिहास के महत्व को समझना और उसे अपने जीवन में उतारना चाहता है। यह पुस्तक न केवल अयोध्या के बारे में अद्वितीय जानकारी प्रदान करती है, बल्कि यह हमें अपने मूल से जोड़े रखने का एक साधन भी प्रदान करती है। इसे पढ़ते समय, आप निश्चित रूप से अयोध्या के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को गहराई से महसूस करेंगे।”
पुस्तक के बारे में लिखने को बहुत कुछ है लेकिन हम इस पुस्तक के लेखक के बारे में बताना चाहेंगे । जितेंद्र कुमार सिंह जी 50 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं इसके अलावा वह जाने-माने साहित्यकार, आलोचक, भाषा विद, एवं इतिहासकार भी हैं इन सब के अलावा एक संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी जितेंद्र जी ने अपने तमाम उज्जवल कृतित्व से भारतीय मनीषा को गौरवान्वित किया है उनकी इस पुस्तक का विमोचन उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में ही किया था।
लेखक शशि प्रकाश सिंह ब्लासम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक व देश के जाने-माने शिक्षाविद् हैं।