मॉ मुरादे पूरी कर दे हलवा बांटूंगी, कैसे और क्या लगाये मॉ दुर्गा को भोग! 

Special Story
Shashwat Tewari

लखनऊ । जय माता दी मित्रों ! मॉ मुरादे पूरी कर दे हलवा बांटूंगी, नरेन्द्र चन्चल का ये भजन सुनते ही बरबस गरमागरम हलवे और कलहारे हुए चनों के प्रसाद का ध्यान आ जाता है । कहते है प्रसाद कैसा भी बना हो पर प्रभु का स्नेह और आशीष मिलते ही उस भोज्य पदार्थ का स्वरूप प्रसाद का हो जाता है और वो मधुर व्यंजन में बदल जाता है । वैसे तो नवरात्रि में अलग अलग दिन अलग अलग प्रसाद चढ़ाने की बात भी होती है और अष्टमी या नवमीं के दिन मॉ को भोग लगा कर कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा भेंट की जाती है ।
नवरात्रि स्पेशल में पत्रिका ने पाठकों की सेवा में अवध के मन्दिरों का रोचक विवरण प्रस्तुत किया जो आशा है आपको अवश्य पसन्द आया होगा । इसी कड़ी में अवध में पूजन परम्परा का जिक्र भी किया गया था । आज हम बात करेंगे मॉ आदि शक्ति के प्रसाद के बारे में । तो पहले बात करते है आज कल चल रही परम्परा की । आज के दौर में मॉ को भोग लगाने के लिये हलवा, चने, गरी ( नारियल) और फलों का प्रयोग किया जाता है । लखनऊ और आस पास के क्षेत्रों में आज कल कन्या पूजन दही जलेबी से किया जाने लगा है जिसका एक मात्र कारण खुद पकाने के झंझट से मुक्ति है, बाजार से बना बनाया लाये, परोसा और हो गया कन्या खिलाना । कुछ लोग बखेडे से बचने के लिये फल और दक्षिणा रख कर कन्याओं का आशीर्वाद ले लेते है । कुछ जगहों पर लोग हलवा चने गरी के प्रसाद के साथ छोले पूरियां बना कर कन्याओं को रुची पूर्वक भोग लगवाते है । यहॉ इन प्रसाद के प्रकारों को पढ़ कर स्वत: पता चल जाता है कि मॉ के पूजन और प्रसाद में भाव की कीमत है प्रसाद की नहीं यानि कि सब कुछ होते हुए भी समर्पण या मन न होना ।
आइयें पलटते है प्रसाद के कुछ पन्ने, और देखते है क्या और कैसा हो प्रसाद ।
दुर्गा सप्तशती के पृष्ठ  पर मानस पूजन में मॉ भगवती के भक्तिमय प्रसाद का पूरा ब्यौरा मौजूद है । देवी मॉ के इस विवरण में हलवा, चना का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है । इस पदमय विवरण में मॉ के स्नान के साथ श्रंगार, भोग, दिव्य गंधों का अर्पण, देवी स्तुति कर मानस पूजन का विधान लिखा है जो बताता है कि मॉ को भक्त की सामाग्री से अधिक भक्त के भावों की भूख होती है । इसके बाद पंजाबी पद्धति के देवी जागरण और पूजन में कहा गया कि तारा देवी के समय काली का पूजन होता था परंतु एक दिन रात में जागरण के समय राजा हरिश्चन्द्र के आ जाने से तारामती ने मॉ से प्रार्थना करते हुए कहा कि मॉ ! मान्स के प्रसाद को कुछ ऐसा बना दीजिये कि शाकाहारी राजा मुझ पर शक संदेह न कर पाये और कहते है कि मॉ भगवती ने ऐसा ही चमत्कार किया कि मान्स हलवा बन गया और हड्डियां चने बन गयी । पंजाबी परम्परा के अनुसार कहते है तभी से मॉ वैष्णों देवी का पूजन होने लगा और हलवे चने का प्रसाद बंटने लगा । ऐसी ही कथा नन्दलाल भक्त की है जो मॉ को अपने शीश काट कर चढ़ाता था । मॉ से प्रार्थना करने पर मॉ ने नन्द लाल की विनती स्वीकार करते हुए सिर को नारियल में बदल दिया क्योकिं नारियल स्वयं सर के रूप का होता है और उसके एक सिरे पर तीन काले निशान पाये जाते है जिन्हे मस्तिष्क की दो आंखे और नाक बताया जाता है ।
तो इस प्रकार मॉ भगवती के प्रसाद में समयानुकूल विभिन्नता आती गयी । अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम जगतजननि को जगत के तुष्छ पदार्थों को अर्पित करना चाहते है या उसके साथ साथ अपने भाव और समर्पण भी ।
जय माता दी ।

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