उभरते बाजारों में निजी क्षेत्र पर केंद्रित विकास वित्त संस्थान अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक कचरा क्षेत्र की संपूर्ण श्रृंखला-संग्रह, एकत्रीकरण, निराकरण और रीसाइकलिंग में 2025 तक 450,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. इसके अलावा परिवहन और विनिर्माण जैसे संबद्ध क्षेत्र में भी 180,000 नौकरियां पैदा होने की संभावना है. आईएफसी 2012 से ई-कचरा क्षेत्र में कार्य कर रहा है.
2017 में इंडिया ई-वेस्ट प्रोग्राम की शुरू हुआ था
सरकार के ई-कचरा (मैनेजमेंट और हैंडलिंग) नियम 2016 के तहत आईएफसी और करो संभव नाम के एक उत्पादक जिम्मेदारी संगठन (पीआरओ) ने यह दिखाने के लिए कि क्षेत्र की चुनौतियों के लिए पूरे भारत में जमीनी स्तर पर समाधान संभव हैं, 2017 में इंडिया ई-वेस्ट प्रोग्राम की शुरुआत की थी. यह प्रोग्राम पीआरओ मॉडल को समर्थन देने और जिम्मेदार ई-कचरा प्रबंधन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है.
सुरक्षित निपटान के प्रति जागरूक किया गया
प्रोग्राम के तहत नागरिकों और निगमों से 4,000 मीट्रिक टन से अधिक ई-कचरा एकत्रित किया गया है और जिम्मेदारी से उसे रिसाइकल किया गया है. स्कूली बच्चों सहित 2,260,000 नागरिकों को बेकार हो चुके इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के सुरक्षित निपटान के प्रति जागरूक किया गया है. आईएफसी सीनियर कंट्री अफसर विक्रमजीत सिंह ने कहा, आईएफसी दुनिया के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों को हल करने के लिए निजी क्षेत्र के समाधान विकसित करता है.
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक
इंडिया ई-वेस्ट प्रोग्राम के जरिये, हमने एक बड़ा और समावेशी निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाला समाधान तैयार किया है, जो भारत में तेजी से बढ़ते क्षेत्र में औपचारिक रोजगार को बढ़ावा देगा और निवेश अवसरों को पैदा करेगा. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है और यहां मांग 2020 तक बढ़कर 400 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
ई-कचरा दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अपशिष्ट धारा
ई-कचरा दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अपशिष्ट धारा है. भारत में प्रतिवर्ष 20 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है. इसके 2020 तक 50 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है. प्रोग्राम के पूरा होने और ई-कचरा के प्रबंधन के समाधान पर चर्चा करने के लिए आईएफसी ने बुधवार को नई दिल्ली में एक कॉन्फ्रें स का आयोजन किया. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के खतरनाक पदार्थ प्रबंधन विभाग के संयुक्त निदेशक सोनू सिंह ने कहा, “ई-कचरा क्षेत्र में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने और रोजगार उत्पन्न करने की महत्वपूर्ण क्षमता है.
इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री सरकार के साथ सहयोग कर रही है और ई-कचरे को जिम्मेदारी से संभालने के लिए कई पहल शुरू की हैं. यदि जिम्मेदारी को सरकार, उत्पादकों और ई-कचरे के उपभोक्ताओं के बीच साझा किया जाता है, तो भारत में ई-कचरे का कुशल प्रबंधन सफलतापूर्वक हासिल किया जा सकता है.’ आईएफसी ई-कचरा क्षेत्र के लिए एक व्यापक निवेश संभावित विश्लेषण पर काम कर रहा है, जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा. ‘करो संभव’ के संस्थापक और निदेशक, प्रांशु सिंघल ने कहा, ‘आईएफसी की हमारे साथ साझेदारी ने एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है, जो जिम्मेदार रीसाइकलिंग के लिए ई-कचरा को नियंत्रित करने की एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली बनाने में सक्षम बनाता है.’