बच्चों की परवरिश और उन्हें जिंदगी की चुनौतियां का सामना करने की सीख देने वाली फिल्मों की हॉलीवुड में एक स्वस्थ परंपरा रही है। आमतौर पर ऐसी फिल्में बड़े सितारों के साथ बनती हैं, उनकी कहानियां सरल और सहज होती हैं लेकिन कई बार उनमें मनोरंजन का तत्व कम हो जाता है। डिजनी की नई फिल्म द लॉयन किंग इसी बात पर दूसरी फिल्मों पर जीत हासिल करती है। यह एक ऐसी मनोबल बढ़ाने वाली कहानी है, जिसे हर बच्चे और हर पिता को देखनी चाहिए। एक संपूर्ण मनोरंजक पारिवारिक फिल्म होने के नाते द लॉयन किंग दर्शकों से किए गए अपने हर वादे पर खरी उतरती है।
जिन लोगों ने द लॉयन किंग का 25 साल पहले रिलीज हुआ साधारण एनीमेशन संस्करण देखा है, उनको इसकी कहानी पता है। ये कहानी है जंगल के राजा मुफासा की जिसका भाई स्कार खुद राजा बनने के सपने देख रहा है। मुफासा के बेटे सिम्बा का जन्म स्कार के सपनों पर पानी फेर देता है। अब वह येन केन प्रकारेण जंगल का राजा बनना चाहता है, चाहे इसके लिए उसे अपने बड़े भाई की जान लेनी पड़े या अपने भतीजे को साजिश करके देश निकाला देना पड़े। घुमंतू स्वभाव के सिम्बा को जीवन की कड़वी सच्चाइयों का सामना करना पड़ता है और इसे दौरान उसे दो बहुत अच्छे दोस्त पुम्बा और टिमॉन मिलते हैं। सिम्बा को जीवन का सबसे बड़ा सबक मिलता है, ‘ये देखो कि तुम कहां जा रहे हो ये नहीं कि तुम कहां से आ रहे हो।’
द लॉयन किंग के हिंदी संस्करण का सबसे बड़ा आकर्षण है इसमें शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन के अलावा हिंदी सिनेमा के चंद बेहद उम्दा कलाकारों की आवाजें। श्रेयस तलपडे और संजय मिश्रा ने पुम्बा और टिमॉन के किरदारों को जो आवाजें दी हैं, वे फिल्म की जान हैं। दोनों के मसखरे अंदाज और दोनों की मस्ती फिल्म के माहौल को हल्का फुल्का रखती हैं और आर्यन खान की आवाज में बोलने वाले सिम्बा को सही मौके पर सही सहारा देती हैं। सिम्बा की दोस्त नाला का किरदार कहानी का टर्निंग प्वाइंट है और जाजू का किरदार भी असरानी की आवाज पाकर खिल उठा है।
फिल्म को आयरमैन और द जंगल बुक जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बना चुके जॉन फैर्व्यू ने निर्देशित किया है। जॉन तकनीक के राजा हैं। इंसानी किरदारों को तकनीक के सहारे सुपरहीरो बना चुके जॉन ने डिजनी की पिछली फिल्म जंगल बुक को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। इस बार उनके सामने चुनौती रही एक बहुत ही भावनात्मक कहानी को उन्नत तकनीक के सहारे पेश करने की।
फिल्म के कुछ बेहद भावनात्मक दृश्यों को छोड़ दें तो वह अपनी कारीगरी में पूरी तरह कामयाब रहे हैं। फिल्म के एनीमेशन लगते ही नहीं कि एनीमेशन हैं, इसके किरदार इतने वास्तविक लगते हैं कि कई बार लगता है कि आप किसी असली जंगल में आ गए हैं। यही इस फिल्म की जीत है। फोटो रियल तकनीक ने जंगल के हर जीव जंतु को नया जीवन दे दिया है। सब कुछ यूं लगता है कि किसी असली जंगल में हो रहा है। अरमान मलिक और सुनिधि चौहान ने फिल्म के गाने गाए हैं और दोनों ने फिल्म के संगीत को हिंदी दर्शकों के लिए कर्णप्रिय बना दिया है।
हॉलीवुड सिनेमा भारत के मेट्रो शहरों में अपनी पकड़ कब की बना चुका है। द लॉयन किंग पहली ऐसी हॉलीवुड फिल्म है जिसने देश की हिंदी पट्टी में दूसरी कतार के शहरों तक इतने बड़े पैमाने पर अपनी पहुंच बनाई है। अगर आपने अरसे से अपने पूरे परिवार के साथ सप्ताहांत नहीं मनाया है तो ले जाइए अपने पूरे परिवार को ये फिल्म दिखाने। आपका अपना सिम्बा ये फिल्म देखने के बाद आपसे जरूर लिपट जाएगा। अमर उजाला के मूवी रिव्यू में फिल्म द लॉयन किंग को मिलते हैं चार स्टार।