(Pi Bureau)
पीढ़ियों से लहसुन एक गुणकारी मसाले के तौर पर जाना जाता है। इसे दवा और सुंदरता बढ़ाने के उपायों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। लहसुन की एक गांठ में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह तत्व, विटामिन सी का बड़ा भंडार मिलता है। साथ ही, कुछ मात्रा में विटामिन बी कॉम्पलेक्स भी इससे मिलता है।
पुराने समय में मिस्र के लोग सेहत को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए रोज लहसुन खाया करते थे। आज के शोधकर्ता भी इस बात से सहमत हैं कि लहसुन बड़े स्तर पर एक एंटीबायोटिक का काम करता है। यह बैक्टीरिया-रोधी, फफूंद-रोधी, परजीवी-रोधी व वायरस-रोधी है।
आइए जानते हैं कि लहसुन को अपने आहार में शामिल करने के क्या फायदे हैं-
-दिल और फेफड़ों के लिए जरूरी
दिल संबंधी तंत्र के लिए लहसुन जादुई काम करता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने में यह खास प्रभावकारी है। लहसुन सीने की जकड़न में और सर्दी-जुकाम से राहत देने में असरदार रहता है। यह सीने की अन्य समस्याओं में भी राहत देता है।
-कैंसर-रोधी है लहसुन
पशुओं पर किए गए कई प्रयोगों में यह बात सामने आई है कि लहसुन में ट्यूमर-रोधी गुण भी होते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के संदर्भ में चूहों पर हुए प्रयोगों में पाया गया कि उन्हें ताजे लहसुन से अपने कैंसर से लड़ने में मदद मिली। लहसुन का उपयोग नपुंसकता और यौन कमजोरी आदि के इलाज में भी किया जाता है। स्पेन और इटली में पारंपरिक रूप से लहसुन का बड़े स्तर पर आहार में प्रयोग होता रहा है। संभवत: इसी संदर्भ में यह इन देशों में लोकप्रिय हुआ।
-कैसे खाएं
क्या लहसुन का तेल, उसके कैप्सूल, उसकी गोलियां आदि ताजा लहसुन की तुलना में बेहतर होती हैं? कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ये भी असरदार होते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि उनमें ‘एक्टिव गार्लिक कंपाउंड्स’की मात्रा बहुत कम या ना के बराबर ही रह जाती है। हालांकि हर हाल में ताजा लहसुन का इस्तेमाल करना अच्छा होता है, क्योंकि यह बैक्टीरिया को खत्म करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। माना जाता है कि कच्चा लहसुन रक्त की तरलता बनाए रखता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी ठीक रखता है। यह रक्तदाब कम करने में भी फायदा करता है। लहसुन दिल के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
-इसकी तीखी गंध से पाएं छुटकारा
लहसुन खाने के बाद मुंह से आने वाली उसकी तीखी गंध से छुटकारा पाना है, तो आमतौर पर कॉफी, शहद, दही, दूध या लौंग खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन कुछ का मानना है कि पार्सले खा सकते हैं, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला क्लोरोफिल लहसुन की गंध को कम करने में कारगर होता है। पेपरमिंट या चुइंगम भी आजमा सकते हैं। इलायची भी असरदार रहेगी।
बीते 5,000 सालों से लहसुन को बतौर एंटीसेप्टिक, वात-रोधी तत्व के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। यहां तक कि बाल उगाने में भी इसे असरदार माना जाता है। तीखी गंध वाला लहसुन आथ्र्राइटिस, ड्रॉप्सी, इंफ्लुएंजा और टीबी से लेकर कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता रहा है। कुछ लोग स्वस्थ रहने के लिए रोज लहसुन की एक कली खाने की सलाह देते हैं।